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शनिवार, 13 मार्च 2010

फेरों का फेर

ये फेरे जन्म मरण के
लगाये तू जा रहा है
कोल्हू के बैल सा
चलता ही जा रहा है
कभी उनकी गली के फेरे
कभी मंडप के हैं फेरे
बस फेरों के फेर में
फिरता ही जा रहा है
कहीं रुसवाइयों के डेरे
कभी डॉक्टर है घेरे
कहीं मंदिर के हैं फेरे
इन फेरों के फेर में
फिरता ही जा रहा है
इक पल घुमा ले वापस
ज़रा ज़िन्दगी की पिक्चर
क्या खोया क्या पाया
इन फेरों के चक्कर में
पशुओं सा जीवन बस
बिता के जा रहा है
इन फेरों के फेर में
फिरता ही जा रहा है
कुछ पल तू ठहर जा
और आत्मज्योति जगा ले
किस मुख से जायेगा
कैसे नज़र मिलाएगा
कुछ अपने लिए भी कर ले
कुछ तो सुकून पा ले

अब फेरों के फेर से
मुक्त हो जा ओ प्यारे
कट जायेंगे सब तेरे
ये जन्म मरण के फेरे


15 टिप्‍पणियां:

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

उस दिव्य द्रष्टा जगत नियन्ता के प्रति कर्तव्य से भरती हुई कविता ,,, हम तो बस यही कहेंगे
ओ समग्र पालक अनुभूत करा दो
अपनी उपस्थिति को ,,,,
स्वयं निष्ठ कर दो मेरी स्थिति को ,,,
इन विहंगम फेरो के झंझा वत से निकाल ,,,

सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वही शैली वही भाषा,
समाहित गूढ़ परिभाषा!
वो देखो जा रही भागी,
निराशा संग ले आशा!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

ये फेरे जन्म मरण के
लगाये तू जा रहा है
कोल्हू के बैल सा
चलता ही जा रहा है
कभी उनकी गली के फेरे
कभी मंडप के हैं फेरे
बस फेरों के फेर में
फिरता ही जा रहा है
कहीं रुसवाइयों के डेरे
कभी डॉक्टर है घेरे

SACHAI BAYAAN KI HAI VANDAN JI..

दीपक 'मशाल' ने कहा…

Jeevan ke Falsafe ko behatreen dhang se darshati kavita..

Mithilesh dubey ने कहा…

क्या बात है , लाजवाब लगी कविता ।

M VERMA ने कहा…

दर्शन के भाव लिये सुन्दर रचना

limty khare ने कहा…

ik aur naya but jordar prayas, aapke lekhan main dino din paina pan aata ja raha hai, ishwar kare aapke lakhne ke chata dino din ujwal hokar failte rahe

अजय कुमार झा ने कहा…

फ़ेरों के फ़ेर में ...बहुत सुंदर कलम फ़ेरी है आपने जी ..शुभकामनाएं
अजय कुमार झा

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

vandana ji,

bahut he sundar bhaav...

shubhkaamnaaayein!

Kusum Thakur ने कहा…

वंदना जी ,
बहुत सुन्दर, सहज दार्शनिक भाव लिए हुए एक अच्छी रचना !!

कृष्ण मुरारी प्रसाद ने कहा…

कुछ पल तू ठहर जा
और आत्मज्योति जगा ले
किस मुख से जायेगा
कैसे नज़र मिलाएगा
कुछ अपने लिए भी कर ले
कुछ तो सुकून पा ले
......शाश्वत सत्य.....
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....
http://laddoospeaks.blogspot.com

दीपक 'मशाल' ने कहा…

sab 99 ka fer hai.. :)

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई !

शरद कोकास ने कहा…

बढ़िया अन्दाज़ है ।

Renu Sharma ने कहा…

vandana ji
ati uttam likha hai.